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कोकरोच से ज़्यादातर महिलाए और बच्चे डरते है, लेकिन क्या आप जानते है की यह विज्ञान की दुनिया मे अपनी मेहनत के लिए प्रसिद्ध है !

कोकरोच से ज़्यादातर महिलाए और बच्चे डरते है, लेकिन क्या आप जानते है की यह विज्ञान की दुनिया मे अपनी मेहनत के लिए प्रसिद्ध है !


कोकरोच से ज़्यादातर महिलाए और बच्चे डरते है, लेकिन क्या आप जानते है की यह विज्ञान की दुनिया मे अपनी मेहनत के लिए प्रसिद्ध है ! इनका परिसंचरण तंत्र खुला होता है, इसलिए ये अपने शरीर के प्रत्येक खंड मे स्तिथ छोटे छिद्रो से साँस ले सकते है ! कोकरोच साँस लेने के लिए मूह या सिर पर निर्भर नही होते है ! इसलिए सिर कटने के बाद भी कोकरोच एक सप्ताह या इस से अधिक दिनों तक जिंदा रह सकता है ! इनकी मौत इसलिए होती है क्योंकि मूह के बिना ये पानी नही पी पाते और प्यास से मर जाते है !read more...


Cockroach eat Mouse


क़ातिल के अजीब क़त्ल की कहानी; जिसकी हत्या हुई वो जिंदा था तो फिर मरने वाला कौन था?

जुर्म की दुनिया वाकई अजीब है. कई बार जो दिखता है ! असल में वो होता नहीं. और कई बार जो होता है असल में दिखता नहीं. ये क़त्ल की कहानी भी कुछ वैसी ही है. जिस शख्स की मौत होती है. मौके से उसकी लाश भी मिलती है. और सुसाइड नोट भी मिलता है. वहां से मौत के सबूत भी मिलते हैं. और मौत की वजह भी. इन सभी को देखकर पुलिस भी मान लेती है कि ये आत्महत्या का ही केस है.

लेकिन जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस के हाथ आती है. तो पूरी घटना ही बदल जाती है. अब पुलिस फिर से तफ्तीश शुरू करती है. फिर जो कहानी सामने आती है तो उसे जानकर पुलिस भी दंग हो जाती है. आज क्राइम की कहानी में मध्य प्रदेश के एक बेहद ही सस्पेंस थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री की सच्ची कहानी.


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का सेंट्रल जेल. साल 2019. तारीख 29 जून. इस दिन परोल पर जेल से निकले कैदी को लौटना था. 14 दिन की परोल पर जाने के बाद जेल प्रशासन को भी उसके लौटने का इंतजार था.


तभी जेल प्रशासन को लोकल पुलिस से एक सूचना मिलती है. सूचना थी कि उस कैदी की मौत हो गई है. हत्या के केस में उम्रकैद की सजा मिलने और जेल की जिंदगी से परेशान होकर उसने घर में ही आत्मदाह कर लिया.


लोकल पुलिस ने बताया कि कैदी ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है. हैंडराइटिंग भी उसी की है. और मौत की वजह भी बताई है. इसलिए अब उसके शव का पोस्टमॉर्टम कराकर केस को बंद करने की तैयारी है. ये जानकर जेल प्रशासन भी उस कैदी के केस को बंद करने के लिए लोकल पुलिस के फाइनल रिपोर्ट का इंतजार करने लगा.


जिस कैदी की मौत हुई थी उसका नाम था राजेश परमार. उम्र तकरीबन 34 साल. वह मध्य प्रदेश के भोपाल के नीलबड़ एरिया के हरीनगर में रहता था. इस पर साल 2014 में एक हत्या का आरोप था. उसी केस में इसकी गिरफ्तारी हुई थी. साल 2016 में उसे कोर्ट ने आजावीन कारावास की सजा सुनाई थी.


जिसके बाद से वो जेल में ही था. उसी समय राजेश के पिता की मौत हो गई थी. इसी वजह से उसे 14 दिनों की परोल मिली थी. इसलिए 15 जून को वो परोल पर बाहर आया था. 29 जून को उसकी परोल खत्म होने वाली थी. इस वजह से उसे हर हाल में 29 जून को जेल में लौटना था.


लेकिन 29 जून की सुबह ही उसके घर से आग की लपटें निकलने लगीं थीं. जिसे देख आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां और लोकल पुलिस मौके पर पहुंची. आग बुझाने पर देखा गया तो एक युवक बुरी तरह से जल चुका था.


चेहरा और शरीर भी पूरी तरह से जला हुआ था. देखकर ही वो मरा हुआ लग रहा था. फिर भी पुलिस ने आखिरी उम्मीद में उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने मृत करार दिया.


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