Play Cricket And Win

Joke for the day ?

मैने कल अपने दोस्त को फ़ोन किया और पूछा कि वो क्या कर रहा है ?


तो उसने बोला वह एक विशेष प्रकार की रिसर्च पर काम कर रहा है !


ज़ोर डालने पर उसने बताया की .....

He is currently working on

"Aqua-thermal treatment of ceramics, aluminium and steel under a constrained environment"

मैं बहुत प्रभावित हुआ...


बाद मे दिमाग़ पर ज़ोर दे के समझ आया कि बर्तन धो रहा था गरम पानी से  ... बीबी की निगरानी मे...read more jokes..


क्रिकेट के बैट, बॉल और पिच का इतिहास ?


आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 30 मई से 14 जुलाई तक खेला जाना है। क्रिकेट की शुरुआत के बारे में किसी को ठीक से पता नहीं है। 1598 में इटली के भाषाविद जॉन फ्लोरियाे की बनाई डिक्शनरी ‘ए वर्ल्ड ऑफ वर्डस’ में पहली बार ‘क्रिकेट ए विकेट’ शब्द मिलता है। खेल का विकास 15वीं सदी के अंत में इंग्लैंड में हुआ। जैसे-जैसे खेल का विकास हुआ, इसके बैट, बॉल और पिच में भी धीरे-धीरे बदलाव हो गया। मसलन- 1720 में क्रिकेट बैट का शेप हॉकी की तरह था। 1750 में बैट चपटा और धारदार हो गया। ऐसे ही पहले कपड़े आैर ऊन की गेंद से क्रिकेट खेला जाता था। क्रिकेट के बैट, बॉल और पिच में बदलाव की कहानी :

बैट: भेड़ को भगाने वाली लकड़ी से क्रिकेट की शुरुआत हुई थी


1720 में भेड़ को भगाने के लिए जिस लकड़ी का प्रयोग होता था, उसी से क्रिकेट खेलते थे। हालांकि पहली बार बैट के इस्तेमाल की जानकारी 1620 में भी मिलती है। जब बल्लेबाज ने फील्डर को कैच पकड़ने से रोकने के लिए बैट का प्रयोग किया था। इसके 100 साल बाद के बैट हॉकी के आकार के होते थे। 1720 में भेड़ चराने वाले क्रिकेट खेला करते थे। वे भेड़ को भगाने के लिए जिस लकड़ी की प्रयोग करते थे, उसी से क्रिकेट खेलते थे।

बैट का नियम: बैट 96.5 सेमी से लंबा और 10.8 सेमी से चौड़ा नहीं होना चाहिए

क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था एमसीसी के अनुसार, बैट की लंबाई 96.5 सेमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसकी चौड़ाई 10.8 सेमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

1750 के बैट में थोड़ा बदलाव हुआ। यह बैट न हॉकी जैसा था, न मौजूदा समय के बैट जैसा। यह थोड़ा चपटा और धारदार होता था। हैंडल लंबा होता था।

1800-1840 निचला हिस्सा फ्लैट हो गया। पूरा बैट एक लकड़ी से बनाया जाने लगा। लंबाई कम हो गई। इस समय बैट का वजन ढाई से तीन किलो तक होता था।

1774-1790 मौजूदा समय के बैट का आकार इस समय के बैट से काफी मिलता था। नीचे का हिस्सा थोड़ा राउंड होता था। 1790 में लंबाई ज्यादा होती थी।

1900 से अब तक में ओवरऑर्म बॉलिंग की शुरुआत के कारण बैट मजबूत बनाए जाने लगे, ताकि तेज गति की गेंदों को सह सकें। बैट ज्यादा चौड़े बनने लगे हैं।


बॉल: 275 साल में गेंद के आकार में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है


1744 में पहली बार लेदर गेेंद का प्रयोग


1744 में पहली बार लेदर गेंद का प्रयोग होने लगा। तब भी गेंद में कॉर्क, लैदर और रबर का इस्तेमाल होता था, आज भी इसी से गेंद बनती है। फोटो 1856 की पहली ऑफिशियल क्रिकेट बॉल की है।


पिच की लंबाई में सिर्फ 1 यार्ड का अंतर: पिच की लंबाई में पहले की तुलना में सिर्फ एक यार्ड का अंतर आया है। 1744 के पहले तक पिच 23 यार्ड (21.03 मीटर) की होती थी। उसके बाद 22 यार्ड (20.11 मीटर) की होनी लगी। मौजूदा समय में भी क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट के मुकाबले 22 यार्ड की पिच पर खेले जाते हैं।


1977 तक लाल गेंद, अब केवल टेस्ट खेला जाता है


पहले क्रिकेट लाल गेंद से खेला जाता था। वनडे भी लाल गेंद से होते थे। यह कॉर्क की बनी होती है। शुरुआत से लेकर सिर्फ इसके रंग में अंतर आया है। 1977 तक सभी फॉर्मेट में इसी का इस्तेमाल होता था। जब गेंद नई होती, तब ज्यादा स्विंग होती। पुरानी गेंद ज्यादा रिवर्स स्विंग होती। अब लाल गेंद सिर्फ टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होती है।


गेंद का नियम: वजन 163 ग्राम से ज्यादा और गोलाई 22.9 सेमी से ज्यादा न हो


1744 में क्रिकेट का लिखित नियम बना। 1770 में गेंद का वजन 156 से 163 ग्राम था। गोलाई 22.4 से 22.9 सेमी के बीच निर्धारित है। तब से ऐसी ही गेंद प्रयोग की जाने लगीं।


पहली बार ऑस्ट्रेलिया में कैरी पैकर सीरीज में सफेद गेंद 


ऑस्ट्रेलिया में पहली बार सफेद गेंद का इस्तेमाल हुआ। 1977 में कैरी पैकर वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट सफेद गेंद से खेला गया। इस सीरीज के बाद वनडे में सफेद गेंद और रंगीन कपड़े का चलन आ गया। सीमित ओवर की क्रिकेट में सफेद गेंद का इस्तेमाल होता है। 2015 में डे-नाइट टेस्ट की शुरुआत हुई। इसमें गुलाबी गेंद का प्रयोग शुरू हुआ।

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